फिर से एक पुरानी कविता.....
दुनिया के हर रंग से बेखबर
एक कोने में चुपचाप खड़ा था
वह खाली कैनवस।
कुछ दूर टंगे थे
कुछ चंपई चेहरे
कुछ भूरी आंखें
रोज़ कुछ लकीरें उभरतीं
रोज कुछ रंग बिखरते
और तैयार होती एक मुकम्मल तस्वीर।
हसरत से देखता रहता
वह खाली कैनवस।
एक दिन खिड़कियां खुलीं
और अंदर घुस आया
धूप का एक शरारती टुकड़ा..
शबे-फ़ुरकत गुज़र चुकी थी।
आंखें मिचमिचाकर खुली ही थीं कि
जादुई उंगलियों ने प्यार से छुआ
खाली कैनवस को।
कुछ नक्श कुनमुनाए,
कुछ रंग चहके।
कलाकार ने पहना दिया उसे सुर्ख जोड़ा
और उसके बेवा सपने सुहागन हो गए।
अब तस्वीर बन चुका था
वह खाली कैनवस।
अब वह बेचारा नहीं, बेरंग नहीं
मगर फख्र से
अपने सीने पर बिखरे रंग
दुनिया को दिखाता कैनवस
अपनी पहचान खो चुका है।
लोग अब उसे तस्वीर कहते हैं।
क्या किसी ने देखा है,
तस्वीर के पीछे?
रंगों और लकीरों की जिम्मेदारी ढोता कैनवस
आज भी कहीं अकेला है।
लाजवाब कैनवस।
जवाब देंहटाएंबेहद खूबसूरत........
जवाब देंहटाएंअनु
कैनवस का वजूद खत्म हो गया ....हर हाल में अकेलेपन से जूझता कैनवस... गहन अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंकैनवस की कविता और कविता का कैनवस दोनों ही सराहनीय है |आदाब दीपिका जी |
जवाब देंहटाएंदीपिका जी कैनवास को आधार बनाकर बहुत कुछ बयाँ किया आपने ,भावपूर्ण रचना ।
जवाब देंहटाएंdhoop ke ek shararati tukade ne canvas me Jo rangeen sapane jagaye the uspe shayad aapka dhayan nahi gaya... Ya use pathakon ke liye chhod diya.
जवाब देंहटाएंBehtareen kavita.
कुनमुनाता रहे यह कैनवस
जवाब देंहटाएंरंग गहरे होते जाएँ
dhup ke shararati tukde ne canvas ko Jo satrangi sapane dikhaye the use to apane chhod hi diya...
जवाब देंहटाएंShayad hamare liye.
Bahut hi sundar kavita.
अपने सीने पर बिखरे रंग
जवाब देंहटाएंदुनिया को दिखाता कैनवस
अपनी पहचान खो चुका है।
लोग अब उसे तस्वीर कहते हैं।
क्या किसी ने देखा है,
तस्वीर के पीछे?
रंगों और लकीरों की जिम्मेदारी ढोता कैनवस
आज भी कहीं अकेला है।
क्या खूब कहा आपने...
बहुत खूब कहा आपने। कैनवस को आधार बना कर कही गईं बातें एकदम भावपूर्ण हैं।
जवाब देंहटाएंअब वह बेचारा नहीं, बेरंग नहीं
जवाब देंहटाएंमगर फख्र से
अपने सीने पर बिखरे रंग
दुनिया को दिखाता कैनवस
अपनी पहचान खो चुका है।
लोग अब उसे तस्वीर कहते हैं।
क्या किसी ने देखा है,
तस्वीर के पीछे?
रंगों और लकीरों की जिम्मेदारी ढोता कैनवस
आज भी कहीं अकेला है।
आपने दायित्वों को जीवंत कर दिया जीवन के रंग बिखेरती केनवास
हम सब ख़ाली कैनवास की तरह आते हैं और रंग भर चले जाते हैं।
जवाब देंहटाएंअंदर से अकेला...बाहर से रंगबिरंगा..किसी दूसरे की तस्वीर को अपने सीने पर दिखाता...कैनवास का दिल अकेला ही..कहीं न कहीं हम भी होते हैं. ऐसे..
जवाब देंहटाएंबेहद खूबसूरत.
जवाब देंहटाएंबेहद खूबसूरत.
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