धुल जाता है जब
बारिशों में वक्त का आईना
तेरी यादों की धूप
छन छन कर आती है
और उगता है
ख्वाहिशों का इंद्रधनुष
दिल के आसमान में।
आरज़ुओं की किताब में
तेरे ज़िक्र के बगैर
कोई सफ़हा खत्म नहीं होता।
ज़रा ज़रा से ख्वाब
तेरी उंगली पकड़ कर
दौड़ना चाहते हैं।
जब गर्म रेत पर
नंगे पांव चलते
जिंदगी के पांवों में
फफोले उठते हैं
तेरी मुस्कुराहट
ठंडी लहर सी
मरहम लगा जाती है।
बादल के सीने में
जब गुबार भरता है
बूंदों की अय्याशी से
पानी पानी हो उठता है
शर्मिंदा आसमान
हवाओं के ज़ुल्म से बेबस
मासूम खिड़कियां
जब छोड़ देती हैं आस
तेरा भरोसा चिटकनियों सा
तभी रोक लेता है तूफान।
इस भागते शहर में
बहुत मुमकिन है
ग़ाफ़िल हो जाना
फिर भी यह एहतियात रखा है मैंने
कि तेरी याद
अब आंचल की गांठ में बंधी है....