आज मैंने मांगी है
सलामती की दुआ
तुम्हारे लिए नहीं
उन करोड़ों के लिए
जिनके लिए तुम्हारा हर दिन
करवा चौथ है
मैंने रखा है व्रत
साल के एक दिन
और तुमने
संकल्प लिया है
आजीवन एक व्रत का
मैं सुनती हूं
चूड़ियों की खनक के साथ
सुहागिनों के गीत
तुम्हारे कानों में बजती हैं
रोज़ सरहद पर
बम गोलों की आवाज़
वक्त नहीं है
मेरे या तुम्हारे पास
आंसुओं का, आहों का
विरह में व्याकुल
चांदनी रातों का
मां के घुटनों की मालिश
बाबूजी की दवाई
और गुड़िया की परीक्षा में
तुम्हारी याद घुलमिल सी जाती है
समाज विज्ञान की किताब से
अधिकार और कर्तव्य का पाठ
गुड़िया को याद कराते
दबोच लेती है मुझे
एक गहरी नींद
मुंदी पलकों में
कोई सपना नहीं
कल की जिम्मेदारियां हैं
चलो आज साथ-साथ चांद देखें
और वादा करें
सच्चाई के साथ निभाएंगे
अपना-अपना व्रत
अपने मोर्चों पर
पीठ नहीं दिखाएंगे
मेरे सिपाही
तुम्हें मुबारक हो
यह करवा चौथ!
bahut khoob...apka lekhan mujhe sada prabhavit karta hai...:)...saccha or sateek. shubhkamnayen.
जवाब देंहटाएंएक नई दृष्टि से आपने इस पर्व को, इसके चांद को और आस्था और विश्वास को देखा है। अच्छा लगा।
जवाब देंहटाएंआपकी बेहतरीन सोच ,संवेदना और कहन की शैली मुझे बहुत प्रभावित करती है |आभार
जवाब देंहटाएंएक बेहतरीन सोच की प्रभावशाली कविता
जवाब देंहटाएंआज 03 - 11 -12 को आपकी पोस्ट की चर्चा यहाँ भी है .....
जवाब देंहटाएं.... आज की वार्ता में ... चलो अपनी कुटिया जगमगाएँ .ब्लॉग 4 वार्ता ... संगीता स्वरूप.
सैनिक की पत्नी के मन में उठाने वाले विचारों को बहुत खूबसूरती से उकेरा है .... अलग अलग जगह से चाँद देख कर भी विश्वास से व्रत निबाहे जा सकते हैं ।
जवाब देंहटाएंवक्त नहीं है
जवाब देंहटाएंमेरे या तुम्हारे पास
आंसुओं का, आहों का
विरह में व्याकुल
चांदनी रातों का
मां के घुटनों की मालिश
बाबूजी की दवाई
और गुड़िया की परीक्षा में
तुम्हारी याद घुलमिल सी जाती है
........
चलो आज साथ-साथ चांद देखें
और वादा करें
सच्चाई के साथ निभाएंगे
अपना-अपना व्रत
अपने मोर्चों पर
पीठ नहीं दिखाएंगे
मेरे सिपाही
तुम्हें मुबारक हो
यह करवा चौथ! .... अमावस्या में भी निर्जल कर्तव्य निभाएं, .... करवा चौथ कुछ यूँ मनाएं
वाह ..
जवाब देंहटाएंभावों का कितना सुन्दर वर्णन
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर....
जवाब देंहटाएंमुंदी पलकों में
कोई सपना नहीं
कल की जिम्मेदारियां हैं...
इस सच को नकारें कैसे....
वाह..
अनु
बहुत खूब! एक सुहागिन की उन जाँबाज देश के रक्षकों को समर्पित रचना ...आभार।
जवाब देंहटाएंसबको ही यह त्योहार शुभ हो।
जवाब देंहटाएंकितना कठिन जीवन है एक सैनिक की ब्याहता का..
जवाब देंहटाएंआपका बयान हमेशा की तरह प्यारा!!
जवाब देंहटाएंबेहतरीन सोच और संवेदना
जवाब देंहटाएंबहुत सराहनीय प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर बात कही है इन पंक्तियों में. दिल को छू गयी. आभार !
अनूठी रचना ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर । मेरे नए पोस्ट पर आपका हार्दिक स्वागत है।
जवाब देंहटाएंसमाज विज्ञान की किताब से
जवाब देंहटाएंअधिकार और कर्तव्य का पाठ
गुड़िया को याद कराते
दबोच लेती है मुझे
एक गहरी नींद
मुंदी पलकों में
कोई सपना नहीं
कल की जिम्मेदारियां हैं
अलग हटकर है आपकी अभिव्यक्ति, बहुत अच्छी रचना, बधाई।
बहुत ही प्रभावी ... शशक्त लेखनी ... देश के लिए लिया गया व्रत भी करवाचौथ से कम नहीं है ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर कविता बधाई आपको दीपिका जी
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