मयकशी की बात रहने दीजिए
हमें तो अरसा हुआ तौबा किए।
होश में वो आएं जो मदहोश हों
तोहमतें मत अब लगाया कीजिए।
चांद की तन्हाई उसको ही पता
साथ उसके रतजगे जिसने किए।
फिक्र जिनको है फ़क़त रुसवाई की
ज़िक्र अब उनका भला क्या कीजिए।
जिस्म तो बस धड़कनों का खेल है
यहां हम हैं रूह का सौदा किए।
कौन सी उल्फ़त कहां की कुरबतें
बज़्म में उनकी खड़े हैं लब सिए।
हसरतें ले जाओ, रहने दो मगर
मुख़्तसर से ख्वाब जो हमने जिए।
सादर नमस्कार,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शुक्रवार (22-05-2020) को
"धीरे-धीरे हो रहा, जन-जीवन सामान्य।" (चर्चा अंक-3709) पर भी होगी। आप भी
सादर आमंत्रित है ।
…...
"मीना भारद्वाज"
वाह
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना के लिए साधुवाद
जवाब देंहटाएंवाह ! बेहतरीन सृजन.
जवाब देंहटाएंसादर
बहुत ही उम्दा लिखावट , बहुत ही सुंदर और सटीक तरह से जानकारी दी है आपने ,उम्मीद है आगे भी इसी तरह से बेहतरीन article मिलते रहेंगे
जवाब देंहटाएंBest Whatsapp status 2020 (आप सभी के लिए बेहतरीन शायरी और Whatsapp स्टेटस संग्रह) Janvi Pathak
इस बेहतरीन लिखावट के लिए हृदय से आभार Appsguruji(जाने हिंदी में ढेरो mobile apps और internet से जुडी जानकारी )
जवाब देंहटाएंउम्दा लिखावट ऐसी लाइने बहुत कम पढने के लिए मिलती है धन्यवाद् (सिर्फ आधार और पैनकार्ड से लिजिये तुरंत घर बैठे लोन)
जवाब देंहटाएंNice Blog. Keep it up.
जवाब देंहटाएंAll your graphical need is here
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