काफी समय से ख़ामोश ब्लॉग पर एक नई शुरुआत कुछ तुकबंदियों के साथ...
याद चंचल हो गई
रात बेकल हो गई
इश्क का चर्चा चला
हवा संदल हो गई
ज़िक्र जब तेरा हुआ
आंख बादल हो गई
चाप सुनकर बेसबर
देख सांकल हो गई
ख्वाब की तन्हाई में
आज हलचल हो गई
एक ठिठकी सी ग़ज़ल
अब मुकम्मल हो गई