नवंबर 02, 2012

करवा चौथ


आज मैंने मांगी है
सलामती की दुआ
तुम्हारे लिए नहीं
उन करोड़ों के लिए
जिनके लिए तुम्हारा हर दिन
करवा चौथ है

मैंने रखा है व्रत
साल के एक दिन
और तुमने
संकल्प लिया है
आजीवन एक व्रत का
मैं सुनती हूं
चूड़ियों की खनक के साथ
सुहागिनों के गीत
तुम्हारे कानों में बजती हैं
रोज़ सरहद पर
बम गोलों की आवाज़

वक्त नहीं है
मेरे या तुम्हारे पास
आंसुओं का, आहों का
विरह में व्याकुल
चांदनी रातों का
मां के घुटनों की मालिश
बाबूजी की दवाई
और गुड़िया की परीक्षा में
तुम्हारी याद घुलमिल सी जाती है

समाज विज्ञान की किताब से
अधिकार और कर्तव्य का पाठ
गुड़िया को याद कराते
दबोच लेती है मुझे
एक गहरी नींद
मुंदी पलकों में
कोई सपना नहीं
कल की जिम्मेदारियां हैं

चलो आज साथ-साथ चांद देखें
और वादा करें
सच्चाई के साथ निभाएंगे
अपना-अपना व्रत
अपने मोर्चों पर
पीठ नहीं दिखाएंगे
मेरे सिपाही
तुम्हें मुबारक हो
यह करवा चौथ!

21 टिप्‍पणियां:

  1. bahut khoob...apka lekhan mujhe sada prabhavit karta hai...:)...saccha or sateek. shubhkamnayen.

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  2. एक नई दृष्टि से आपने इस पर्व को, इसके चांद को और आस्था और विश्वास को देखा है। अच्छा लगा।

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  3. आपकी बेहतरीन सोच ,संवेदना और कहन की शैली मुझे बहुत प्रभावित करती है |आभार

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  4. एक बेहतरीन सोच की प्रभावशाली कविता

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  5. सैनिक की पत्नी के मन में उठाने वाले विचारों को बहुत खूबसूरती से उकेरा है .... अलग अलग जगह से चाँद देख कर भी विश्वास से व्रत निबाहे जा सकते हैं ।

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  6. वक्त नहीं है
    मेरे या तुम्हारे पास
    आंसुओं का, आहों का
    विरह में व्याकुल
    चांदनी रातों का
    मां के घुटनों की मालिश
    बाबूजी की दवाई
    और गुड़िया की परीक्षा में
    तुम्हारी याद घुलमिल सी जाती है
    ........
    चलो आज साथ-साथ चांद देखें
    और वादा करें
    सच्चाई के साथ निभाएंगे
    अपना-अपना व्रत
    अपने मोर्चों पर
    पीठ नहीं दिखाएंगे
    मेरे सिपाही
    तुम्हें मुबारक हो
    यह करवा चौथ! .... अमावस्या में भी निर्जल कर्तव्य निभाएं, .... करवा चौथ कुछ यूँ मनाएं

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  7. भावों का कितना सुन्दर वर्णन

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  8. बहुत सुन्दर....
    मुंदी पलकों में
    कोई सपना नहीं
    कल की जिम्मेदारियां हैं...

    इस सच को नकारें कैसे....
    वाह..
    अनु

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  9. बहुत खूब! एक सुहागिन की उन जाँबाज देश के रक्षकों को समर्पित रचना ...आभार।

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  10. कितना कठिन जीवन है एक सैनिक की ब्याहता का..

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  11. आपका बयान हमेशा की तरह प्यारा!!

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  12. बहुत सराहनीय प्रस्तुति.
    बहुत सुंदर बात कही है इन पंक्तियों में. दिल को छू गयी. आभार !

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  13. बहुत सुंदर । मेरे नए पोस्ट पर आपका हार्दिक स्वागत है।

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  14. समाज विज्ञान की किताब से
    अधिकार और कर्तव्य का पाठ
    गुड़िया को याद कराते
    दबोच लेती है मुझे
    एक गहरी नींद
    मुंदी पलकों में
    कोई सपना नहीं
    कल की जिम्मेदारियां हैं

    अलग हटकर है आपकी अभिव्यक्ति, बहुत अच्छी रचना, बधाई।

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  15. बहुत ही प्रभावी ... शशक्त लेखनी ... देश के लिए लिया गया व्रत भी करवाचौथ से कम नहीं है ...

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  16. बहुत सुंदर कविता बधाई आपको दीपिका जी

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