नवंबर 02, 2012

करवा चौथ


आज मैंने मांगी है
सलामती की दुआ
तुम्हारे लिए नहीं
उन करोड़ों के लिए
जिनके लिए तुम्हारा हर दिन
करवा चौथ है

मैंने रखा है व्रत
साल के एक दिन
और तुमने
संकल्प लिया है
आजीवन एक व्रत का
मैं सुनती हूं
चूड़ियों की खनक के साथ
सुहागिनों के गीत
तुम्हारे कानों में बजती हैं
रोज़ सरहद पर
बम गोलों की आवाज़

वक्त नहीं है
मेरे या तुम्हारे पास
आंसुओं का, आहों का
विरह में व्याकुल
चांदनी रातों का
मां के घुटनों की मालिश
बाबूजी की दवाई
और गुड़िया की परीक्षा में
तुम्हारी याद घुलमिल सी जाती है

समाज विज्ञान की किताब से
अधिकार और कर्तव्य का पाठ
गुड़िया को याद कराते
दबोच लेती है मुझे
एक गहरी नींद
मुंदी पलकों में
कोई सपना नहीं
कल की जिम्मेदारियां हैं

चलो आज साथ-साथ चांद देखें
और वादा करें
सच्चाई के साथ निभाएंगे
अपना-अपना व्रत
अपने मोर्चों पर
पीठ नहीं दिखाएंगे
मेरे सिपाही
तुम्हें मुबारक हो
यह करवा चौथ!