सीली सीली हवा हुई
जाने कैसी ख़ता हुई
जिसकी हमको सज़ा हुई।
ज़ुर्म ज़रा जो पूछा तो
दुनिया हमसे ख़फा हुई।
हमने कब खुशियां मांगी
दर्द हमारी दवा हुई।
उन्हें मिली उजली रातें
हमें शबे-ग़म अता हुई।
जान गई दीवानों की
माशूकों की अदा हुई।
फूलों की आंखें रोईं
सीली सीली हवा हुई।
बंदों की फिर क्या हस्ती
जब उस रब की रज़ा हुई।
मर्मस्पर्शी पंक्तियाँ बहुत दिनो के बाद आपको लिखते देखकर खुशी हुई !
जवाब देंहटाएंवाह. बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंबेहतरीन और बस बेहतरीन ।
जवाब देंहटाएंदीपोत्सव की अनंत मंगलकामनाएं !!
जवाब देंहटाएंBest Birthday Gifts Online
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