tag:blogger.com,1999:blog-6040881560049852516.post7369268999148758425..comments2023-12-30T03:28:26.259+05:30Comments on एक कली दो पत्तियां: हिज्र का मौसम बुरा थादीपिका रानीhttp://www.blogger.com/profile/12986060603619371005noreply@blogger.comBlogger16125tag:blogger.com,1999:blog-6040881560049852516.post-2764596714725194452017-07-02T17:06:48.111+05:302017-07-02T17:06:48.111+05:30आप और सलिल गुरु दोनों कमाल..!आप और सलिल गुरु दोनों कमाल..!SKThttps://www.blogger.com/profile/10729740101109115803noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6040881560049852516.post-30692556543058133842014-08-31T12:48:03.841+05:302014-08-31T12:48:03.841+05:30 नींद पलकों से उड़ी थी
रंग ख्वाबों का उड़ा था
क्य... नींद पलकों से उड़ी थी<br />रंग ख्वाबों का उड़ा था<br /><br />क्या ख़ूब लिखा है।महेन्द्र वर्माhttps://www.blogger.com/profile/03223817246093814433noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6040881560049852516.post-65372010240291081142014-07-31T14:38:40.409+05:302014-07-31T14:38:40.409+05:30चांद खिड़की पर खड़ा था
मगर अंधेरा बड़ा था....
wah...चांद खिड़की पर खड़ा था<br />मगर अंधेरा बड़ा था....<br /><br />wah wah bahut khoobdr.sunil k. "Zafar "https://www.blogger.com/profile/13096911048421117572noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6040881560049852516.post-77838544743258815622014-07-06T08:58:04.502+05:302014-07-06T08:58:04.502+05:30बहुत सुंदर बहुत सुंदर Onkarhttps://www.blogger.com/profile/15549012098621516316noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6040881560049852516.post-6045536216434590882014-07-06T07:04:26.986+05:302014-07-06T07:04:26.986+05:30इस अंधेरी रात से पर
भोर का सपना जुड़ा था
बेहद सुं...इस अंधेरी रात से पर<br />भोर का सपना जुड़ा था<br /><br />बेहद सुंदर रचना , बधाई स्वीकारें Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6040881560049852516.post-53715765573627557322014-07-02T04:51:59.072+05:302014-07-02T04:51:59.072+05:30सुकुमार भावाभिव्यक्ति को सलिल ने ज़रा सँवार दिया ...सुकुमार भावाभिव्यक्ति को सलिल ने ज़रा सँवार दिया लालित्य और बढ़ गया - बधाई दोनो को !प्रतिभा सक्सेनाhttps://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6040881560049852516.post-68827791086876931932014-07-01T19:33:26.976+05:302014-07-01T19:33:26.976+05:30Very nice.Sharing on fb:)Very nice.Sharing on fb:)Parmeshwari Choudharyhttps://www.blogger.com/profile/13942433781714760104noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6040881560049852516.post-52483689344337998812014-07-01T19:23:28.629+05:302014-07-01T19:23:28.629+05:30सुंदर गजल लिखी है आपने. संशोधनों के बाद वह और भी ब...सुंदर गजल लिखी है आपने. संशोधनों के बाद वह और भी बढ गई है. मेरा अनुभव है कि गजल या कविता को यदि लिखने के बाद थोडा सा गुनगुना कर देखें तो जहाँ भी कुछ अटकाव जैसा होगा वह अनुभव कर लीजिएगा और फिर आप स्वत: संशोधन करने में सक्षम होंगी. मैं कई बार कविताओं की एडीटिंग करते समय यह तरीका अख्तियार करता हूँ. SANJAY TRIPATHIhttps://www.blogger.com/profile/11409479457211913450noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6040881560049852516.post-71932468882626537432014-07-01T18:32:13.821+05:302014-07-01T18:32:13.821+05:30ब्लॉग बुलेटिन की 900 वीं बुलेटिन, ब्लॉग बुलेटिन औ...ब्लॉग बुलेटिन की 900 वीं बुलेटिन, <a href="http://bulletinofblog.blogspot.in/2014/07/900.html" rel="nofollow"> ब्लॉग बुलेटिन और मेरी महबूबा - 900वीं बुलेटिन </a> , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !ब्लॉग बुलेटिनhttps://www.blogger.com/profile/03051559793800406796noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6040881560049852516.post-1502455984590475352014-06-30T23:38:28.688+05:302014-06-30T23:38:28.688+05:30क्या दमदार शेर है. बहुत भाव भरा भी
-जब सुलगती थी ...क्या दमदार शेर है. बहुत भाव भरा भी<br /> -जब सुलगती थी हवा भी<br />हिज्र का मौसम बुरा थाdinesh gautamhttps://www.blogger.com/profile/12703343426381963314noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6040881560049852516.post-30895127624264740772014-06-30T15:43:45.447+05:302014-06-30T15:43:45.447+05:30छोटी बहार में सुन्दर ग़ज़ल ... सलिल जी ने संवार दिए ...छोटी बहार में सुन्दर ग़ज़ल ... सलिल जी ने संवार दिए हैं शेर ... मज़ा आ गया ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6040881560049852516.post-399687728207964592014-06-30T09:27:06.874+05:302014-06-30T09:27:06.874+05:30सलिल जी द्वारा संशोधित शेर -
चांद खिड़की पर खड़ा थ...सलिल जी द्वारा संशोधित शेर -<br />चांद खिड़की पर खड़ा था<br />फिर भी अंधेरा बड़ा था<br /><br />उन चरागों को कहें क्या<br />ज़ोर जिनका बस ज़रा था<br /><br />इक पुराना ख़त गुलाबी,<br />मेज पर औंधा पड़ा था<br /><br />टीस रहरहकर उठी थी,<br />ज़ख़्म भी अब तक हरा थादीपिका रानीhttps://www.blogger.com/profile/12986060603619371005noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6040881560049852516.post-88278226379111112322014-06-28T21:44:25.023+05:302014-06-28T21:44:25.023+05:30दीपिका जी ,सलिल जी के निर्देशानुसार गज़ल के संशोधि...दीपिका जी ,सलिल जी के निर्देशानुसार गज़ल के संशोधित रूप को यहीं साथ में देतीं तो अच्छा था । वैसे बहुत बढ़िया रचना है ।<br />गिरिजा कुलश्रेष्ठhttps://www.blogger.com/profile/07420982390025037638noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6040881560049852516.post-57142477529912754842014-06-28T13:31:08.383+05:302014-06-28T13:31:08.383+05:30हौसलाअफज़ाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया। उससे भी ज्य...हौसलाअफज़ाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया। उससे भी ज्यादा शुक्रिया कमियां बताने का। और कमियों का जिक्र यहीं कमेंट में कर दिया करें। अभी सीख ही रही हूं, ढेर सारी कमियां होती हैं। मुझे अच्छा लगता है जब कोई बिना समझे वाह करने की बजाय कमजोरियां बताए। यहां लगाने का मकसद ही यही होता है कि अनुभवी लोगों से कुछ सीखने को मिले। वरना तो गोल-गोल ही घूमते रहेंगे। आपका संशोधन बहुत बढ़िया था। उन संशोधनों के साथ ग़ज़ल को फेसबुक पर चस्पा कर दिया :)दीपिका रानीhttps://www.blogger.com/profile/12986060603619371005noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6040881560049852516.post-10775188027897606562014-06-28T08:22:07.141+05:302014-06-28T08:22:07.141+05:30बहुत ही बढ़िया
सादरबहुत ही बढ़िया <br /><br /><br />सादरYashwant R. B. Mathurhttps://www.blogger.com/profile/06997216769306922306noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6040881560049852516.post-53169355525275567782014-06-27T22:34:53.172+05:302014-06-27T22:34:53.172+05:30छोटी बहर में प्यारी गज़ल... जो मुझे बहुत करीब से जा...छोटी बहर में प्यारी गज़ल... जो मुझे बहुत करीब से जानते हैं उन्हें पता है कि मैं इस प्रकार की ग़ज़लों को इर्ष्या से देखता हूँ, क्योंकि मैं चाहकर भी इस बहर में गज़ल नहीं कह पाता. <br />सारे अशार लाजवाब हैं... ज़रा सा शिल्प में भटकाव है, समेट लिया तो सुन्दरता और बढ जाएगी! मेरी ओर से बहुत सुन्दर ग़ज़ल! चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.com