tag:blogger.com,1999:blog-6040881560049852516.post5278975865199979712..comments2023-12-30T03:28:26.259+05:30Comments on एक कली दो पत्तियां: गज़लदीपिका रानीhttp://www.blogger.com/profile/12986060603619371005noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-6040881560049852516.post-36972917168415823842012-01-11T16:21:03.288+05:302012-01-11T16:21:03.288+05:30वाह ... लाजबाब भाव हैं आपकी गजल में तो .देखिये न.....वाह ... लाजबाब भाव हैं आपकी गजल में तो .देखिये न...<br />जख्म गिनकर मंजिलों की राह मत दुश्वार कर,<br />देख सागर तक नदी किस तरह तय करती सफर।<br />...बहुत खूब ...नीरज जी की बात पर ध्यान देना आप जरूर..क्योंकि गज़ल में जितना भाव अहम है उतना है उसका व्याकरण <br />क्षमा चाहता हूँ !आनंदhttps://www.blogger.com/profile/06563691497895539693noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6040881560049852516.post-60575140029042493282012-01-09T15:01:14.524+05:302012-01-09T15:01:14.524+05:30वो हैं नादां जो शबे गम से तड़प कर रो दिए,
हम चले ह...वो हैं नादां जो शबे गम से तड़प कर रो दिए,<br />हम चले हैं संग में अपने लिए अपना सहर।<br />बहुत सुन्दर ग़ज़ल .....<br />बधाई.......<br />मेरे ब्लॉग पढने और जुड़ने के लिए इस लिंक पे क्लिक करें...<br />http://dilkikashmakash.blogspot.com/कौशल किशोरhttps://www.blogger.com/profile/14147695410702733267noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6040881560049852516.post-5224963442411195412012-01-08T07:21:58.090+05:302012-01-08T07:21:58.090+05:30बेहद ख़ूबसूरत और उम्दाबेहद ख़ूबसूरत और उम्दासंजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6040881560049852516.post-30826666906659649712012-01-08T07:13:51.253+05:302012-01-08T07:13:51.253+05:30बेहद ख़ूबसूरत और उम्दाबेहद ख़ूबसूरत और उम्दासंजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6040881560049852516.post-12956097944896475462012-01-05T11:18:26.079+05:302012-01-05T11:18:26.079+05:30क्यों शिकायत हो हमें इन शोख लहरों से भला,
साहिलों ...क्यों शिकायत हो हमें इन शोख लहरों से भला,<br />साहिलों पर रेत का जब खुद बनाया था नगर।<br /><br />वाह!खूबसूरत ग़ज़ल का बेहतरीन शेर!'साहिल'https://www.blogger.com/profile/13420654565201644261noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6040881560049852516.post-76842837839452666162012-01-04T12:04:02.541+05:302012-01-04T12:04:02.541+05:30अन्यथा लेने का सवाल ही नहीं नीरज जी। दरअसल ग़ज़ल क...अन्यथा लेने का सवाल ही नहीं नीरज जी। दरअसल ग़ज़ल की मुझे बहुत समझ नहीं है। कभी-कभी यूं ही कुछ लिख डालती हूं। हौसलाअफ़जाई का शुक्रिया.. और इसी तरह कमियां बताते रहिए ताकि लेखन और बेहतर हो सके।दीपिका रानीhttps://www.blogger.com/profile/12986060603619371005noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6040881560049852516.post-48541679946613079362012-01-04T11:08:26.343+05:302012-01-04T11:08:26.343+05:30वो हैं नादां जो शबे गम से तड़प कर रो दिए,
हम चले ह...वो हैं नादां जो शबे गम से तड़प कर रो दिए,<br />हम चले हैं संग में अपने लिए अपना सहर।<br /><br />वाह बहुत खूबसूरत शेर है...लाजवाब...आप बहुत अच्छी ग़ज़ल कह सकती हैं थोडा तकती करने का अभ्यास करें ताकि सभी शेर एक बहर में आ जाएँ आपके मतले और फिर तीसरा शेर वजन से गिर रहा है...कोई बात नहीं अभ्यास से सब ठीक हो जायेगा...मुझे उम्मीद है आप मेरी बात को अन्यथा नहीं लेंगीं...<br /><br />नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.com