tag:blogger.com,1999:blog-6040881560049852516.post6432973763337966095..comments2023-12-30T03:28:26.259+05:30Comments on एक कली दो पत्तियां: कांच की गोलियांदीपिका रानीhttp://www.blogger.com/profile/12986060603619371005noreply@blogger.comBlogger15125tag:blogger.com,1999:blog-6040881560049852516.post-52728101516548076752020-08-04T00:31:19.502+05:302020-08-04T00:31:19.502+05:30कुरेद ये कविता दूर तक कहीं अंतस को। कुछ चोट ऐसी हो...कुरेद ये कविता दूर तक कहीं अंतस को। कुछ चोट ऐसी होती हैं, दर्द खत्म नहीं होता उनका।<br />आइ होप ये मात्र कविता भर ही है, कोई दस्तावेज़ नहीं ! 😢P Shttps://www.blogger.com/profile/05115598017850716156noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6040881560049852516.post-12510003321168926362016-09-25T18:50:35.748+05:302016-09-25T18:50:35.748+05:30 कांच की गोलियां खोने का मलाल है। .
बहुत सुन्दर य... कांच की गोलियां खोने का मलाल है। . <br />बहुत सुन्दर यादें कविता रावत https://www.blogger.com/profile/17910538120058683581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6040881560049852516.post-58223790751047456432016-09-02T03:18:06.165+05:302016-09-02T03:18:06.165+05:30कुरेद गई ये रचना हृदय के अंतस कोकुरेद गई ये रचना हृदय के अंतस कोAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6040881560049852516.post-88064710410063851872016-06-13T14:14:02.779+05:302016-06-13T14:14:02.779+05:30bahut khub kripya hamare blog www.bhannaat.com ke ...bahut khub kripya hamare blog www.bhannaat.com ke liye bhi kuch tips jaroor denBhannaathttps://www.blogger.com/profile/06369490643645444251noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6040881560049852516.post-87420410810340535272015-10-29T22:30:45.420+05:302015-10-29T22:30:45.420+05:30बहुत बढ़ियाबहुत बढ़ियाAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/05385574595102621705noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6040881560049852516.post-45584832403435218922015-08-27T19:16:05.761+05:302015-08-27T19:16:05.761+05:30बेहद सुन्दर ........ बेहद सुन्दर ........ मुकेश कुमार सिन्हाhttps://www.blogger.com/profile/14131032296544030044noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6040881560049852516.post-28181845183876239092015-04-07T12:29:35.243+05:302015-04-07T12:29:35.243+05:30वाह दीपिका जी अति उत्तम खास कर ये पंक्तियाँ को लाज...वाह दीपिका जी अति उत्तम खास कर ये पंक्तियाँ को लाजवाब हैं....!!<br /><br />हर खटके पर बढ़ जाती हैं धड़कनें<br />हर दिन, हर पल<br />जंजीरों में कैद है मेरी रूह<br />संजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6040881560049852516.post-34716591643111989652015-03-25T17:13:06.336+05:302015-03-25T17:13:06.336+05:30हैल्थ से संबंधित किसी भी प्रकार की जानकारी प्राप्त...हैल्थ से संबंधित किसी भी प्रकार की जानकारी प्राप्त करने के लिए यहां पर Click करें...इसे अपने दोस्तों के पास भी Share करें...<br /><a href="http://www.jkhealthworld.com/english/ayurveda" title="Herbal remedies" rel="nofollow">Herbal remedies</a>Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/02316653981162308842noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6040881560049852516.post-63314170769523166732015-03-10T19:23:03.738+05:302015-03-10T19:23:03.738+05:30बहुत ही मर्मस्पर्शी रचना..
कई बार पड़ा तब शायद भाव...बहुत ही मर्मस्पर्शी रचना..<br />कई बार पड़ा तब शायद भावार्थ कुछ समझ पाया...dr.sunil k. "Zafar "https://www.blogger.com/profile/13096911048421117572noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6040881560049852516.post-29482840074754672452015-02-24T23:45:14.330+05:302015-02-24T23:45:14.330+05:30कांच की गोलिया एक बहुत ही सार्थक और उम्दा रचना है...कांच की गोलिया एक बहुत ही सार्थक और उम्दा रचना है। इस रचना के लिए धन्यवाद।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6040881560049852516.post-5554036562244091582015-02-22T16:48:06.749+05:302015-02-22T16:48:06.749+05:30ये कविता नहीं एक दस्तावेज है एक पूरी पीढ़ी का ... ए...ये कविता नहीं एक दस्तावेज है एक पूरी पीढ़ी का ... एक उम्र का जिसने झेला है समय की त्रासदी को ... अंतिम लाइनें शायद चाह रही हैं की बस अब और नहीं झेलना इस यंत्रणा को ... कांच की गोलियां काश बन्दूक की गोलियां बन सकें ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6040881560049852516.post-21432554521601616052015-02-20T22:02:02.894+05:302015-02-20T22:02:02.894+05:30दीपिका जी , अब सब स्पष्ट है . आपने उस वीभत्स व भय...दीपिका जी , अब सब स्पष्ट है . आपने उस वीभत्स व भयानक घटना को अपने तरीके से व्यक्त किया है जो निश्चित ही अपने आप में विशिष्ट है . बेशक यह विषय है ही आहत कर देने वाला . गिरिजा कुलश्रेष्ठhttps://www.blogger.com/profile/07420982390025037638noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6040881560049852516.post-61266721149433017042015-02-19T23:20:21.042+05:302015-02-19T23:20:21.042+05:30दीपिका जी! दो बार पढने के बाद लगा कि मैं कुछ-कुछ स...दीपिका जी! दो बार पढने के बाद लगा कि मैं कुछ-कुछ समझ पा रहा हूँ. लेकिन यह विषय मुझे आहत करता है और उसपर बींध देता है आपका वर्णन. कविता की पहली पंक्ति से आख़िरी पंक्ति तक साँसें रुकी रहीं और कविता दो बार पढने के बाद वही लिजलिजा एहसास होने लगा अन्दर से जो हमेशा आप्की कविताओं को पढते हुये होता है. हालाँकि आदरणीय गिरिजा दी मना करती है6 उन भावों को मन में लाने के लिये... लेकिन दिल है कि मानता नहीं!<br />आशीष है मेरा आपको और परमात्मा से प्रार्थना है कि अपनी कविता की इस सचाई का विस्तार हो अपार और सार्थक कर सके नारी का वह रूप जो अपने अन्दर वो सारी विकृतियाँ समेट लेती है समाज की और सुरसरि कहलाती है!चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6040881560049852516.post-82953547788591775342015-02-19T22:49:25.667+05:302015-02-19T22:49:25.667+05:30गिरिजाजी शायद यह कोई कविता ही नहीं है। जब कोई स्त्...गिरिजाजी शायद यह कोई कविता ही नहीं है। जब कोई स्त्री या बच्ची बाहरी दुनिया में दरिंदगी का शिकार होती है, तो उसके पास एक सपोर्ट सिस्टम होता है, अपने घरवालों के रूप में। मगर जब एक बच्ची अपने ही घर में, अपने जाने-पहचाने लोगों द्वारा शोषण का शिकार होती है, तो यह हमेशा के लिए उसकी जिंदगी को ही विकलांग बना जाता है। कविता बन पाई या नहीं, यह पता नहीं मगर उस भयावहता को महसूस करना चाहा है।दीपिका रानीhttps://www.blogger.com/profile/12986060603619371005noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6040881560049852516.post-66027063890108339932015-02-19T22:25:28.446+05:302015-02-19T22:25:28.446+05:30दीपिका जी ,यादों और अनुभूतियों से मुक्ति आसान नहीं...दीपिका जी ,यादों और अनुभूतियों से मुक्ति आसान नहीं है चाहे वे मीठी हों या कडवी . उनका मधुर होना खुशकिस्मती ही है . कविता अच्छी है लेकिन काफी गहरी है . पता नहीं यह दृष्टि भी आपके अभीष्ट कथ्य तक पहुंची है या नहीं . गिरिजा कुलश्रेष्ठhttps://www.blogger.com/profile/07420982390025037638noreply@blogger.com