tag:blogger.com,1999:blog-6040881560049852516.post2121337906615371450..comments2023-12-30T03:28:26.259+05:30Comments on एक कली दो पत्तियां: क्या अब भी लिखी जाती है प्रेम कविता? दीपिका रानीhttp://www.blogger.com/profile/12986060603619371005noreply@blogger.comBlogger17125tag:blogger.com,1999:blog-6040881560049852516.post-66670550063697410032015-07-12T19:18:37.635+05:302015-07-12T19:18:37.635+05:30बहोत खूब वाहबहोत खूब वाहAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/07054064576726246772noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6040881560049852516.post-75867519541247212662014-05-15T21:37:00.510+05:302014-05-15T21:37:00.510+05:30नक्सलियों, आतंकियों से भिड़कर जान देने वाले
थोड़ी ...नक्सलियों, आतंकियों से भिड़कर जान देने वाले<br />थोड़ी सी और ज़िन्दगी मांग रहे हैं<br />अपने बच्चों के लिए<br />उन्हें पता है, हथेली पर टिकी जान के बदले<br />दो वक्त जलता चूल्हा<br />और कितने दिन जल पाएगा<br />सरकार की भीख से!<br /><br /><b>बहुत खूब!</b>Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6040881560049852516.post-10366644685673252192014-05-14T12:11:25.292+05:302014-05-14T12:11:25.292+05:30प्रेम ही सर्वत्र मौजूद है बस उसकी मौजूदगी अलग अलग ...प्रेम ही सर्वत्र मौजूद है बस उसकी मौजूदगी अलग अलग रूपों में दिखाई देती है, बहुत ही सुंदर रचना.<br /><br />रामराम ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6040881560049852516.post-73433773101958389632014-05-13T16:46:16.730+05:302014-05-13T16:46:16.730+05:30प्रेम सर्वत्र है दृश्य अदृश्य दोनों रूपों में
....प्रेम सर्वत्र है दृश्य अदृश्य दोनों रूपों में <br />..बहुत सुन्दर कविता रावत https://www.blogger.com/profile/17910538120058683581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6040881560049852516.post-18749701029869601172014-04-30T11:22:19.962+05:302014-04-30T11:22:19.962+05:30http://bulletinofblog.blogspot.in/2014/04/blog-pos...http://bulletinofblog.blogspot.in/2014/04/blog-post_30.htmlरश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6040881560049852516.post-12314734216174380882014-04-24T10:29:25.977+05:302014-04-24T10:29:25.977+05:30जीवन का दूसरा नाम ही तो प्रेम है
और इससे भिन्न भी...जीवन का दूसरा नाम ही तो प्रेम है <br />और इससे भिन्न भी और कोई प्रेम गीत है क्या :) ??Sumanhttps://www.blogger.com/profile/02336964774907278426noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6040881560049852516.post-83598399901968242632014-04-16T15:12:36.214+05:302014-04-16T15:12:36.214+05:30गहरी अभिव्यक्ति ... जब आसान न हो जीवन तो प्रेम को ...गहरी अभिव्यक्ति ... जब आसान न हो जीवन तो प्रेम को लिखना आसान नहीं होता ... मारा जाता है मन .. दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6040881560049852516.post-79366092160403827882014-04-16T00:10:46.323+05:302014-04-16T00:10:46.323+05:30आखिरी प्रेम कविता तो तभी लिखी गई होगी, जब आखिरी बा...आखिरी प्रेम कविता तो तभी लिखी गई होगी, जब आखिरी बार प्रेम हुआ होगा...क्या ये संभव है कि प्रेम आखिरी बार दुनिया में कर लिया गया हो..नहीं ..वैसे आजकल सही में प्रेम कविता कि जगह एसिड प्रकरण ही दिखता है...पर उम्मीद पर दुनिया कायम है...कहीं न कहीं प्रेम कविता लिखी जाती ही होगी इस दुनिया मेंRohit Singhhttps://www.blogger.com/profile/09347426837251710317noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6040881560049852516.post-52361298296822361672014-04-13T19:27:46.833+05:302014-04-13T19:27:46.833+05:30सटीक रचना. आजकल प्रेम कविता लिखना सच में मुश्किल ह...सटीक रचना. आजकल प्रेम कविता लिखना सच में मुश्किल है Onkarhttps://www.blogger.com/profile/15549012098621516316noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6040881560049852516.post-26984352699782429712014-04-13T15:06:06.846+05:302014-04-13T15:06:06.846+05:30:):) कमेंटदारी वाला वह कमेंट आपके लिए नहीं था सलिल...:):) कमेंटदारी वाला वह कमेंट आपके लिए नहीं था सलिल जी, यह बात आप भी जानते हैं.. और मैं मौका लगते ही आपको पढ़ती हूं। बीच में काफी अंतराल हो गया, जिस दौरान मैंने लिखना भी बंद कर दिया था क्योंकि मेरी सबसे प्रिय कविता (मेरी सवा साल की बिटिया) मेरा सारा समय मांगती थी... अंत में यह कि यह इस पोस्ट पर सबसे सटीक कमेंट था।दीपिका रानीhttps://www.blogger.com/profile/12986060603619371005noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6040881560049852516.post-50316231315300178792014-04-13T10:00:59.828+05:302014-04-13T10:00:59.828+05:30प्रेम की कल्पना / विश्वास बना रहे , इसलिए इस दौर ...प्रेम की कल्पना / विश्वास बना रहे , इसलिए इस दौर में और भी जरुरी है प्रेम कविता लिखना , पढ़ना भी। … मैं तुम्हारे प्रेम में हूँ जिंदगी इन दिनों http://teremeregeet.blogspot.in/2014/02/blog-post_4.htmlवाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6040881560049852516.post-15407674061962864022014-04-12T19:30:36.075+05:302014-04-12T19:30:36.075+05:30पता नहीं आप जिसे प्रेम कविता कह रही हैं, क्या वो स...पता नहीं आप जिसे प्रेम कविता कह रही हैं, क्या वो सचमुच प्रेम कविता है भी? एक माँ रोज़ अपने थके हारे बेटे से पूछती थी कि उसे खाने में क्या चाहिये. इसके बाद सारे व्यंजनों के नाम गिनाकर, दाल रोटी परोस देती थी. किसी ने पूछा कि वो जब दाल-रोटी ही बनाती है तो फिर इतने व्यंजनों के नाम क्यों गिनाती है. उसका जवाब था - ताकि कम से कम उनके नाम तो याद रहें.<br />प्रेम की कविताएँ भी शायद इसीलिये लिखी जा रही हैं. क्योंकि के बदलते स्वरूप में "वह प्रेम" भी शायद बदल गया है, लुप्त हो गया है... आखिरी प्रेम कविता तो कब की लिखी जा चुकी है. यह तो सिर्फ मर्सिया है उसके नाम जिसे प्रेम कहते थे!!<br />और हाँ, इसे कमेण्टदारी निभाना मत समझियेगा, क्योंकि हम तब भी अपनी बात कहते थे, जब आप नहीं पढती थीं मुझे! :) :) :) चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6040881560049852516.post-41357409874248057952014-04-11T14:18:04.295+05:302014-04-11T14:18:04.295+05:30बहुत खूब...बहुत खूब...देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6040881560049852516.post-58503616138450873782014-04-10T21:22:34.371+05:302014-04-10T21:22:34.371+05:30वाह वाह क्या बात है - खूब लिखा है|वाह वाह क्या बात है - खूब लिखा है|Siddharthahttps://www.blogger.com/profile/03973558161692261653noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6040881560049852516.post-82640539116162762392014-04-09T23:15:48.467+05:302014-04-09T23:15:48.467+05:30भूल गए राग रंग भूल गए जकडी
हाथ रही तीन चीज नौन तेल...भूल गए राग रंग भूल गए जकडी<br />हाथ रही तीन चीज नौन तेल लकडी ।<br />जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा करने में ही जीवन से जूझते लोगों को प्रेम कविता नही सूझती । लेकिन प्रेम कविता न सही , पर यह भी सच है कि सच्ची कविता तो जूझते हुए लोग ही लिख सकते हैं । गिरिजा कुलश्रेष्ठhttps://www.blogger.com/profile/07420982390025037638noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6040881560049852516.post-48751266611542535052014-04-09T21:57:41.128+05:302014-04-09T21:57:41.128+05:30विगत कुछ सालों से असहिष्णुता बढ़ी है। घृणा, हिंसा, ...विगत कुछ सालों से असहिष्णुता बढ़ी है। घृणा, हिंसा, प्रतिकार का पलड़ा प्रेम से भारी है पर इतना भी तय है कि जब तक ये दुनिया है प्रेम है और रहेगा।Manish Kumarhttps://www.blogger.com/profile/10739848141759842115noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6040881560049852516.post-75092915648603781062014-04-09T21:51:33.919+05:302014-04-09T21:51:33.919+05:30वाह!वाह!Kumar Kaustubhahttps://www.blogger.com/profile/04626043747230830412noreply@blogger.com